Wednesday, 18 July 2018

एक साहित्यिक की डायरी (सड़क को लेकर एक बातचीत)

-शालू 'अनंत'


मस्तिष्क की दुकान में मनियारी के सामान से भी कही अधिक सामान मौजूद है। मनियारी मने किराने की दुकान। तो दिमाग एक ऐसा दुकान है जिसमे किराने की दुकान से भी अधिक सामान है। और अगर उन सामानों का प्रयोग न किया जाये तो वह केवल एक स्टोर रूम की तरह बनकर रह जाता है।