लोंजाइनस ने उदात्त के सम्बन्ध में उन तत्वों की भी चर्चा की है जो औदात्य के विरोधी है। इस प्रकार उदात्त के स्वरूप विवेचन के तीन तत्व हो जाते है:-
१) अंतरंग तत्व:- उड़ात विचारों या विषय की गरिमा- उनके अनुसार उस कवि की कृति महान नहीं हो सकती जिसमे महान धारणाओं की क्षमता नहीं है। कवि को महान बनाने के लिए अपनी आत्मा में उदात्त विचारो का पोषण करना चाहिए। उन्होंने दृष्टांत देते हुए स्पष्ट लिखा है, ''यह संभव नहीं की जीवन-भर शूद्र उद्देश्यों और विचारों में ग्रस्त व्यक्ति कोई स्तुत्य एवं अमर रचना कर सके।' 'महान शब्द उन्हीं के मुख से निश्रित होता है जिनके विचार गंभीर और महान हो।''
१) अंतरंग तत्व:- उड़ात विचारों या विषय की गरिमा- उनके अनुसार उस कवि की कृति महान नहीं हो सकती जिसमे महान धारणाओं की क्षमता नहीं है। कवि को महान बनाने के लिए अपनी आत्मा में उदात्त विचारो का पोषण करना चाहिए। उन्होंने दृष्टांत देते हुए स्पष्ट लिखा है, ''यह संभव नहीं की जीवन-भर शूद्र उद्देश्यों और विचारों में ग्रस्त व्यक्ति कोई स्तुत्य एवं अमर रचना कर सके।' 'महान शब्द उन्हीं के मुख से निश्रित होता है जिनके विचार गंभीर और महान हो।''