Friday, 29 May 2020

स्वर्ग का द्वार पाताल लोक के रस्ते

 
'पाताल लोक' एक ऐसी वेबशृंखला के रूप में उभरी है जो अनेक स्वतंत्र रचनात्मक संभावनाओं को अपने अंदर संजोये हुए है। यह महज एक जबरदस्त सस्पेंस रचने वाला क्राइम थ्रीलर नहीं है। अनेक ऐसे मुद्दे इसमें उजागर होते हैं जो आज के समाज की हकीकत हैं, फिर चाहे वह वर्ग, लिंग, जाति, सम्प्रदाय के आधार पर हो। इन समाजों के हाशिये पर धकेल दिए गए लोगों के निजी जटिल इतिहास का एक लेखा-जोखा देखने को मिल जाता है यहाँ।
कहानी तीन दुनिया के कथा से आरम्भ होती है। पहला स्वर्ग लोक जहाँ देवता वास करते हैं, देवता मने अमीर और ऊँची पहुँच के लोग। दूसरा धरती लोक है जहाँ आम आदमी बसता है और तीसरा पाताल लोक जहाँ कीड़े रहते हैं, कीड़े शब्द प्रतीकार्थ रूप में यहाँ प्रयोग किया गया है। ये वो लोग होते हैं जिनकी जिंदगी कीड़े-मकौड़ों जैसी है, जिन्हें कभी भी अपने फायदे के लिए स्वर्ग लोक के देवता या आदमी कुचल सकते हैं। आउटर जमुना पार के आसपास के जो लोग हैं उनकी जिंदगियाँ पाताललोकवासी जैसी दिखाई गई है।

'जयदीप अहलावत' जोकि 'हाथी राम चौधरी' के नाम से पुलिस की भूमिका में हैं। वह शुरू में ही अपने सहकर्मी 'इमरान अंसारी' (इस्वाक सिंह) से कहते हैं कि 'स्वर्ग लोग के केस स्वर्ग लोक में ही दब जाते हैं, मारे जाते हैं पाताल लोक के कीड़े।' शुरू में ही एक कॉकरोच का मारा जाना इसी ओर इशारा करता है। यह दृश्य यहाँ प्रतीक स्वरुप आया है। कहानी शुरू होती है एक हाई प्रोफाइल पत्रकार 'संजीव महरा'(नीरज कबी) को मारने की कोशिश में पकड़े जाने वाले चार लोगों से। ये चारो हैं 'विशाल त्यागी उर्फ़ हथोड़ा त्यागी(अभिषेक बनर्जी)', 'तोप सिंह(जगजीत संधू)', 'कबीर एम(आसिफ खान)', 'चीनी(मेरिमबम रोनाल्डो सिंह)'

संजीव महरा एक ऐसे पत्रकार हैं जिनकी स्पष्टवादिता से बड़े लोगों को चिढ़ है, जिसने एक राजनेता का करियर ख़त्म कर दिया है, उसके घोटालों की पोल खोल कर। एक पत्रकार और वह भी असल पत्रकारिता करने वाले पत्रकार से बहुत से लोगों को दिक्कत होती है जिस कारण शुरू में यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि किसने संजीव महरा को मरवाने की कोशिश की होगी। कहानी इस तरह आगे बढ़ती है लेकिन जबरदस्त सस्पेंस आखिर के २० सेकंड तक बना रहता है। इस केस को संभालने की जिम्मेवारी हाथीराम चौधरी को दी जाती है।

हर कहानी की एक मुख्य घटना होती है और उसके साथ ही सहायक या गौण घटनाएं या कहानियां चलती रहती हैं जो उस मुख्य घटना को आगे बढ़ाने का काम करती हैं। इस कहानी में भी कई सारी सहायक कहानियां है। पत्रकारों के जीवन की कहानी दर्शकों को बहुत प्रभावित करती है जिसमें आज की पत्रकारिता की चुनौतियों को बखूबी दर्ज किया गया है। किस तरह एक ईमानदार पत्रकार भी परिस्थितियों में फंस कर या जानबूझकर अपने असली काम से भटक जाता है। इसको बहुत ही बारीकी से रचा गया है। संजीव का कहना कि 'हम हीरो हुआ करते थे' एक भूतकालीन सच को बयां करता है, वास्तव में पत्रकार और पत्रकारिता जब निष्पक्ष होती है तो वह लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में काम करती है। तब जनता की नजरों में वह हीरो होती है लेकिन वही जब चाटुकारिता करने लगे तो सीन पूरी तरह बदल जाता है।

इसी तरह 'हथोड़ा त्यागी', 'तोप सिंह', 'कबीर एम' और 'चीनी' की कहानियाँ भी इस वेब सीरीज को आगे बढ़ाने का काम तो करती ही है साथ ही साथ समाज की उस काली हकीकत को भी उजागर करती है जो आम आदमी की नजरों से नहीं देखी जा सकती जिसके लिए या तो देवता बनना पड़ता है या पाताल लोक का कीड़ा।

'चीनी' एक ट्रांसजेंडर है, अनाथ है और छोटे-मोटे काम करके कुछ रूपये जोड़ना चाहती है ताकि अपना ऑपरेशन करा सके और पूरी लड़की बन सके। जब पुलिस कर्मियों को पता चलता है की वो लड़की नहीं है तो उसे लड़को के साथ रखा जाता है। लड़की होने के लिए शरीर के बस एक हिस्से की जरूरत होती है अगर वो हिस्सा अलग है तो वह स्त्री नहीं है, चाहे आत्मा, मन या व्यवहार कितना भी स्त्रियोचित क्यों न हो। जिस व्यक्ति के साथ चीनी बड़ी हुई होती है वह एक वाक्य बोलता है जोकि हमें सोचने पर मजबूर कर देता है कि आखिर पाताललोक में कोई जी कैसे सकता है, वह कहता है "इंसान के बच्चे की जान बहुत सख्त होती है, कीड़े के जैसे। लोग मरने के लिए छोड़ जाते हैं पर वो *** जिन्दा रहना सीख ही जाता है।"
Mairemban Ronaldo Singh

'कबीर एम' एक मुस्लमान परिवार में जन्मा बच्चा है जिसके अब्बू और बड़े भाई को रेल यात्रा के दौरान कुछ भगवाधारियों ने ट्रेन से उतार कर मार डाला। आज के सन्दर्भ में इसे मॉब-लॉन्चिंग कहते हैं। उस समय कबीर बहुत छोटा था। एक हिंदू व्यक्ति उसे बचा लेता है और हिंदू बनाकर पालता है। जब सीबीआई वाले उसे पाकिस्तानी आतंकवादी साबित करते हैं तब जिस व्यक्ति ने उसे पाला था वह हाथीराम चौधरी को बोलता है कि "क्या साहब, जिसे मैंने मुसलमान तक नहीं बनने दिया उसे आप लोगों ने आतंकवादी बना दिया"। वेब सीरीज का यह हिस्सा बहुत ही मार्मिक और हृदयस्पर्शी जान पड़ता है। यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि किस तरह बड़ी आसानी से आतंकवादी कहकर एक धर्म को मुजरिम करार दिया जा सकता है।
Asif Khan

'तोप सिंह' पंजाब का रहने वाला है, यह 'मँजार' जाति से ताल्लुख रखता है जिस कारण हमेशा से ऊंची जाति वालों के उपहास का कारण बनता आया है। ये अपमान किस तरह बदले और तिरस्कार के रूप में तब्दील हो जाती है और किस तरह उसे इस षड्यंत्र में फँसा दिया जाता है इसको बहुत ही नाटकीय तरीके से पेश किया गया है।
Jagjeet Sandhu

'विशाल त्यागी' एक छोटे गाँव का रहने वाला है जिसकी बहनों का बलात्कार उसी के चाचा के भेजे हुए गुंडे कर देते हैं वह भी सिर्फ जमीन के एक टुकड़े के लिए। हमेशा से देखा गया है कि जितनी भी लड़ाइयां है ख़ास कर जमीन को लेकर वह औरत की आबरू की कीमत पर लड़ी जाती है, औरत की इज्जत इतनी सस्ती है की जमीन हासिल करने के लिए उसका इस्तेमाल करना सबसे आसान जान पड़ता है। ऐसा ही कुछ तोप सिंह की माँ के साथ भी होता है जब तोप सिंह के गांव छोड़ देने के बाद ऊँची जाति के दस लोग उसकी माँ का बलात्कार करते हैं। अपनी बहनों के बलात्कार का बदला 'विशाल त्यागी' अपने चाचा के तीनों बेटों को हथोड़े से मारकर लेता है, इस तरह उसका नाम 'हथोड़ा त्यागी' पड़ता है।
Abhishek Banerjee

कैसे एक आदमी किन्हीं परिस्थितियों में फँसकर या किसी बड़ी मज़बूरी में आकर अपराध करता है ये इन चारों की कहानियों से पता चलता है। 'पाताल लोक' वेब सीरीज एक तरफ तो वर्ग, लिंग, जाति, सम्प्रदाय और 'मुख्यधारा' के हाशियें पर धकेल दिए गए कुछ चरित्रों के जटिल और निजी इतिहास का तर्कसंगत कोलाज़ है और दूसरी तरफ अलग-अलग श्रेणियों में बंटे-कटे भारत के फासिस्ट समाज और सिस्टम में बदलने की महागाथा। बदले समाज और देश को पहचानने में यह वेब सीरीज हमारी भरपूर मदद करती है।


शालू 'अनंत'
शोधार्थी
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय

4 comments:

  1. बहुत सुंदर व सटीक समीक्षा। भारतीय समाज के कटु यथार्थ को उजागर करने का सफलतम प्रयास ।इसमें समाज की विभिन्न श्रेणियों का विस्तृत वर्णन तो किया ही गया है साथ ही हाशिए पर धकेल दिए गए वर्ग की सामाजिक व आर्थिक दशा पर भी प्रकाश डाला है।

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    1. प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया पूजा

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  2. संपूर्ण सीरीज की संक्षिप्त और सटीक अभिव्यक्ति प्रदान करने और कुछ अस्पष्ट दृश्यों को स्पष्ट शब्द देने का उत्तम प्रयास।

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